बाबू जगजीवन राम ने अपने जीवन के 50 वर्ष की राजनीति में अपनी विलक्षण प्रतिभा से देश की महान सेवा की थी ।वह देश के प्रथम दलित उपप्रधानमंत्री थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में तन- मन से सेवा की थी। वे स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान,कुशल प्रशासक उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी और महान राष्ट्र निर्माता थे।बाबू जगजीवन राम एक अनुभवी प्रतिभावान कद्दावर नेता थे जो लगभग सभी मंत्रालयों में मंत्री रह चुके थे। उनमें योग्य प्रधानमंत्री के रूप में काबिलियत थी किंतु जातिवादी की वजह से वे प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। उनके जीवन में तीन बार देश के प्रधानमंत्री बनने का मौका आया किंतु अछूत नेता होने की वजह से वे प्रधानमंत्री नहीं बन सके।बाबूजी ने लगातार 33 वर्षों तक मंत्री पद पर रहकर देश की सेवा की थी। उन्होंने मोरारजी भाई देसाई की सरकार में उप प्रधानमंत्री का कार्य किया। वे सबसे लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री एवं सांसद के रूप में कुशल राजनीतिज्ञ एवं नेता के रूप में प्रतिष्ठित है। ऐसे महापुरुष बाबू जगजीवन राम का जन्म बिहार के सासाराम के चंदवा गांव में 5 अप्रैल 1908 में हुआ था। प्रेम से उनके अनुयाई बाबूजी कहते थे। उन्हें बाबूजी के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
वे संविधान सभा के सदस्य भी रहे । आजादी के बाद नेहरू जी की अंतरिम सरकार में वे सबसे युवा मंत्री थे। लेफ्टिनेंट जनरल जेकब ने अपनी ऑटो बायोग्राफी में लिखा था-“भारत के जगजीवन राम से अच्छा रक्षा मंत्री नहीं मिला।” 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा और भारत को विजय प्राप्त हुई जिसके साथ ही बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का आविर्भाव हुआ। पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को कैद कर पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। इसका श्रेय श्रीमती इंदिरा जी को ही दिया जाता है किंतु इसके हकदार असल में बाबूजी थे।
भीमराव अंबेडकर के बाद सबसे ज्यादा पेट और पहुंच बनाने वाला यह भारत का दलित नेता जो दलित और वंचित की लड़ाई में आजादी से पहले ही अपनी आवाज को बुलंद कर चुका था।बाबा साहब के अधूरे कार्यों को बाबू जी ने पूरा किया बाबू जी ने ही दलितों को नौकरियों में आरक्षण के साथ ही पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था कराई थी। वे दलितों के अधिकारों की आवाज थे। बाबूजी कहते थे “जीना है तो मरना सीखो।” “समता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” वे समतावादी समाज का भारत देखना चाहते थे। जिसके लिए कृत संकल्प थे। वे दलितों के मसीहा थे। वे देश की प्रत्येक व्यक्ति को समानता दिलाने के सदा संकल्पित रहे तथा स्वतंत्रता के साथ सम्मान का जीवन जिए एसे आदर्श विचारों और सोच के हिमायती थे।
बाबू जगजीवन राम जी, गांधी और अंबेडकर के मिश्रित अनुयाई थे। बाबा साहब अंबेडकर और बाबू जगजीवन राम दोनों बड़े नेताओं ने अपने जीवन भर अछूतोद्धार का पुनीत कार्य करते हुए सामाजिक गुलामी से आजाद करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया यह दोनों महापुरुष हमारे लिए प्रेरणा स्रोत, मार्गदर्शक, मुक्तिदाता और आदर्श है। पूजनीय है। बाबा साहब सूर्य हैं तो बाबूजी चांद है। उन्होंने बाबा साहब के परिनिर्वाण के बाद कहा था- “मैं तो बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के अधूरे कामों को पूरा करने में लगा हूं। वह भारत का जो अधूरा नक्शा छोड़ गए हैं ,मैं अब उसमें रंग भरने का काम कर रहा हूं।”
उनकी रेल मंत्री रहते हुए ही रेलवे विश्व की चौथे एवं एशिया की सबसे बड़ी रेल सेवा के रूप में प्रतिष्ठित हुई थी। उनकी ‘कास्ट स्टोरी इन रूरल इंडिया’ प्रसिद्ध पुस्तक है। बाबू जगजीवन राम की दो संतानें हैं। सुरेश एवं मीरा कुमार। बाबूजी की राजनीति को बेटी मीरा कुमार ने संभाला जो पहले आई एफ एस अधिकारी थी। बाद में सासाराम से पांच बार सांसद बनी। बेटी मीरा कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में देश को बेहतरीन सेवा प्रदान की।
बाबू जगजीवन राम को आज भी भारत रत्न प्रदान नहीं किया गया है किंतु वे सच्चे अर्थों में भारत रत्न थे।
— डॉ. कान्ति लाल यादव