गीतिका
सब भुला तेरी खता रिश्ता निभाना याद है
पोंछ के आंसू तेरे वो चुप कराना याद है
कोन है जो कर रहा गुमराह तुझको हर घड़ी
कान का खुद को तेरा कच्चा बनाना याद है
जब बड़ी नजदीकियां थी बीच अपने वो कभी
वो दिलो की बात अपनी सब बताना याद है
आ गई दीवार कैसे बीच में सबको पता
दी दगा तूने हमें, नजरे चुराना याद है
कर रहा है बिन वजह बदनाम दुनिया में हमें
वो हमारा बिन खता के सिर झुकाना याद है
छीन ली तूने हमारी सब अना, मजबूर हैं
वो जलालत का हमें सारा जमाना याद है
क्या किसी को दोष दे जब है बुरे हालात अब
तब समय अच्छा रहा,अब सब भुलाना याद है
— शालिनी शर्मा