गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

सब भुला तेरी खता रिश्ता निभाना याद है
पोंछ के आंसू तेरे वो चुप कराना याद है
कोन है जो कर रहा गुमराह तुझको हर घड़ी
कान का खुद को तेरा कच्चा बनाना याद है
जब बड़ी नजदीकियां थी बीच अपने वो कभी
वो दिलो की बात अपनी सब बताना याद है
आ गई दीवार कैसे बीच में सबको  पता
दी दगा तूने हमें, नजरे चुराना याद है
कर रहा है बिन वजह बदनाम दुनिया में हमें
वो हमारा बिन खता के सिर झुकाना याद है
छीन ली तूने हमारी सब अना, मजबूर हैं
वो जलालत का हमें सारा जमाना याद है
क्या किसी को दोष दे जब है बुरे हालात अब
तब समय अच्छा रहा,अब सब भुलाना याद है
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त