“नजरबन्द हो गयी देश में अपनी प्यारी खादी है”
गीत “नजरबन्द हो गयी देश में अपनी प्यारी खादी है”
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गर्मी-सर्दी दोनों में, सुख देती अपनी खादी है
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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महँगाई के कारण खादी, जन-जन से अब दूर हो गई,
खादी-भूषा, हिन्दी-भाषा, भारत में मजबूर हो गयी.
नजरबन्द हो गयी देश में, भारत की शहजादी है
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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खादी को बदनाम किया है, चाटुकार-गद्दारों ने
खादी का अपमान किया है, चालबाज-मक्कारों ने
नेताओं ने सबसे ज्यादा, की इसकी बरबादी है
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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रँगे हुए स्यारों ने, बापू जी को बहुत भुनाया है
उस थाली में छेद किया, जिसमें भोजन को खाया है
सत्ता का सुख मिला उसी को, जो दुर्जन-अपराधी है
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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नर ही नारायण बनकर, कल्याण स्वयं का करते हैं
भोले-भालों को भरमाकर, अपनी झोली भरते हैं
मकड़ी के जालों में उलझी, जनता सीधी-सादी है
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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सूख गई सरिताएँ सारी, तालाबों में काई है
हरियाली मिट गई धरा से, कंकरीट उग आई है
शस्य-श्यामला धरती पर, बढ़ती जाती आबादी है,
खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)