कविता

खुशी को ढूँढना

खुशी को कौन ढूँढ पाया है,
आज सभी दुखी है,
नकली हंसी लगये घूम रहे है,
 बड़ा घर, पैसे, बड़ी कार,
में खुशिया ढूँढ रहे हैं,
पर  क्या खुशी  इसमें मिलती है,
ये बड़ा कठिन सवाल है,
खुशी तब मिलती है,
जब हम किसी की होठो पर,
ला सके मुस्कान,
किसी रोते को हसा सके,
जब आप किसी भूखे,
इन्सान को खाना खिलाये,
तब   मिलती है खुशी,
पर आज की दुनिया में,
कोई नहीं पोछता किसी
के आसूं ,
नकली खुशी से सब खुश है,
क्यों नहीं पाते सच्ची खुशी।।
— गरिमा लखनयी

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384