ग़ज़ल
पहले तो गिरा नफरत की दीवार बाबा
फिर बाॅंटे आपस में सभी को प्यार बाबा
आप उनके यहाॅं वे आपके यहाॅं आवे
इसी तरह मनाईये हर त्यौहार बाबा
प्यार की खुशबू से महके हरेक ऑंगन
खिलाए चमन में ऐसी नई बहार बाबा
भाईचारे की पीठ में भोंकते खंज़र
ऐसो का ही हरदम करिये शिकार बाबा
एक दिन सभी को मिलना है खाक़ में फिर भी
रमेश पर मत चला शत्रुता का हथियार बाबा
— रमेश मनोहरा