कविता

वक्त तो लगता है।

सपनों को बुनने में
उनको चुनने में
बहुत खास बनने में,,,
           वक्त तो लगता है,!
हकीकत से मिलने में
सही राह चलने में
फूलों के खिलने में,,,
             वक्त तो लगता है,!
अपनों से घुलने में
अश्कों के धुलने में
सबसे खुलने में,,,
           वक्त तो लगता है,!
पत्तों के झड़ने में
घावों के भरने में
मुकाम हाँसिल करने में,,,
           वक्त तो लगता है,!
अपनों को पहचानने में
परायों को जानने में
खुद के कमाने में,,,
          वक्त तो लगता है,!
— सपना परिहार

सपना परिहार

श्रीमती सपना परिहार नागदा (उज्जैन ) मध्य प्रदेश विधा -छंद मुक्त शिक्षा --एम् ए (हिंदी ,समाज शात्र बी एड ) 20 वर्षो से लेखन गीत ,गजल, कविता ,लेख ,कहानियाँ । कई समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन, आकाशवाणी इंदौर से कविताओ का प्रसारण ।