गीत/नवगीत

सिखाया जिंदगी ने बिन किताब

खुद से अधिक किसी ओर को चाहना
होता है खुद कि नज़र मे खुद
 के ही गुनहगार कहलाना।।
खुद को हर पल नज़र अंदाज़ कर जाना
दूजों के आगे हर पल बेगुनाह
होकर भी झुक जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
खुद कि तमन्नाओं का गला
हर वक्त घोंट जाना
दूजे के लिए खुद को ही
बदल जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
दर्द ए खामोशी को भीतर ही
दबाते चले जाना
दूजों कि दहाड़ों को सुन बस
डर दुबक जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
पापी है जानते हुए भी पाप के
लिए मुंह ना खोल पाना
पापी के पाप में होता भागीरथी
ये भी था समझाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
जिंदगी सिखाए इतना अधिक
कलम तुझे ये तराना
तेरी पहचान हैं हसीं इसे देख
भी ना खुश हो जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
वक्त आएगा तेरा दिल को ये
कह बस तसल्ली दिलाना
जितनी चोट दी , दुगनी उसे एक
दिन जरूर मिलेगी ये सोच जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित