वक्त के लम्हों में
वक्त के लम्हों में, उल्फ़त का नज़ारा यूं करें
दूर दुनियां से चलें आओ किनारा यूं करें
बाद मुद्यत के बनेगा चांद अपना राजदार
तज़्किरा होठों में हो कोई ईशारा यूं करें
दौर गुज़रा उम्र का एक ग़मज़दा लम्हों तले
आईये ओ जाने जां जश्न-ए- बहारा यूं करें
फ़िक्र हो ऐवान का न आरजू इशरत की हो
इश्क की गलियों में कुछ लम्हें गुज़ारा यूं करें
हैं फ़जाएं संदली दिलकश नज़र जादूभरी
बेख़ुदी में इश्क की रौशन सितारा यूं करें
— पुष्पा स्वाती