गीतिका/ग़ज़ल

वक्त के लम्हों में

वक्त के लम्हों में, उल्फ़त का नज़ारा यूं करें
दूर दुनियां से चलें आओ किनारा यूं करें
बाद मुद्यत के बनेगा चांद अपना राजदार
तज़्किरा होठों में हो कोई ईशारा यूं करें
दौर गुज़रा उम्र का एक ग़मज़दा लम्हों तले
आईये ओ जाने जां जश्न-ए- बहारा यूं करें
फ़िक्र हो ऐवान का न आरजू इशरत की हो
इश्क की गलियों में कुछ लम्हें गुज़ारा यूं करें
हैं फ़जाएं संदली दिलकश नज़र जादूभरी
बेख़ुदी में इश्क की रौशन सितारा यूं करें
— पुष्पा स्वाती

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है