सारी रात
म्हारी याद सताती रही सारी रात
नींद आ आ के जाती रही सारी रात।
सोया नही तो स्वप्न आए नही मगर
तू मेरे ख्यालों आती रही सारी रात।
मेरे दिल की हर धड़कन प्रतिपल
तुमको ही बुलाती रही सारी रात।
तू कर नही सकती बेवफ़ाई मुझसे
अन्तरात्मा मुझे बताती रही सारी रात।
साथ था मैं मेरा कमरा और तन्हाई
आँख आँसू बहाती रही सारी रात।
रह रहकर उभरते रहे कुछ दर्दे ग़म
इक अगन तन जलाती रही सारी रात।
— आशीष तिवारी निर्मल