सितारे टाँक कर
सितारे टाँक श्रद्धा की चुनर मैंने बनाई है
सभी भावों के सुमनो से ग़ज़ल माला सजाई है
पखारे पाँव मेरे अश्रु माँ मैं क्या करूँ अर्पण
सुता ये दर तुम्हारे खुद ही खाली हाथ आई है
कहा मैंने हमेशा सच, लिखा मैंने हमेशा सच
सभी सच भावनाओं को, ये मालन गूँथ लाई है
हुई मति चंचला मेरी, विकारों से भरा है मन
भरो तुम साधना मुझमें, तुम्हारी मुर्खा जाई है
निमंत्रण देने आई है कि घर मेरे पधारो माँ
चुराकर फूलों से हर रंग, रंगोली बनाई है
हृदय को खोलकर अपना , लिखी जज्बातों को अपनी
किरण है बेसुरी पर माँ , तुम्हारी महिमा गायी है।