मत का प्रयोग
भारत माँ की लाज बचाने, हर इक पहरेदार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो ।
दीमक गर लग जाए तो, पूरी लकड़ी सड़ जाती है
अमरबेल लदकर पेड़ों की, हरियाली हर जाती है
त्याग के अपने मतलब सारे, थोड़े तो खुद्दार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो ।
याद रखो उनको जो सरहद पर, कट मर जाते हैं
मात-पिता, घर-द्वार छोड़कर, माटी में मिल जाते हैं
सौंप के सत्ता ज़ालिमों को, ना अपयश हकदार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो ।2।
सीमा पर लड़ना बैरी से, शायद है आसान बहुत
लेकिन छिपे हुए दुश्मन से, हम-तुम हैं अनजान बहुत
संसद की रक्षा करने को, अब तो ज़िम्मेदार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो।3।
कारा की दीवारें भी जब, बेबस और लाचार हुईं
तब वोटों की ताकत ही, केवल इक उपचार हुई
मसि पर धार लगाई मैंने, अब तुम भी तलवार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो 4।
भारत की पंचायत को अब, नागों से भयमुक्त करो
आस्तीन में साँप ना पालो, बांबी सारी नष्ट करो
कुचलो फन सारे विषधर के, राम-कृष्ण अवतार बनो
चोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो।5।
— शरद सुनेरी