ग़ज़ल
रौब सत्ता का नहीं सब को दिखाना चाहिए।
आम जनता पर नहीं यूँ ज़ुल्म ढाना चाहिए।
इक घड़ी को याद आती जब नही उसको मेरी,
तब मुझे भी बेवफ़ा को भूल जाना चाहिए।
हर हक़ीक़त का करूँगा सामना दिल खोलकर,
अब नहीं मुझ को कोई झूठा फ़साना चाहिए।
विश्व भर के सामने है गर्व से जीना अगर,
एक सुन्दर देश भारत को बनाना चाहिए।
रब तआला है जहां में सबसे बरतर जब हमीद,
हर जगह पर यूँ नहीं सर को नवाना चाहिए।
— हमीद कानपुरी