गीत/नवगीत

गौ माता अन्नपूर्णा, जीवन का आधार

माँ-सम सुत को पालती, कृषि-कृषक उद्धार
गौ माता अन्नपूर्णा, जीवन का आधार
सूरज की है प्रतिनिधि, वसुओं को दे प्यार
आदित्यों की बहना है, शिव भी नन्दी सवार
मन-वांछित फलदायिनी, धरा पे यह उपकार
गौ माता अन्नपूर्णा………
भृगु ने द्विज को दान दिया, कामधेनु है नाम
विष्णु किये गोपाला होकर गोसेवा के काम
गो-सेवा तन मन से हो,  हो वैतरणी पार
गौ माता अन्नपूर्णा………
मलशोधक, अणुरोधक गोबर, है कमला का वास
गौमूत्र दे आरोग्य, धनवंतरी करें निवास
ब्रह्मा विराजे कूबड़ में, गौ-स्पर्श है देव-द्वार
गौ माता अन्नपूर्णा………
चन्द्रकिरण अवशोषित करती, स्वर्ण-तत्व दे रोग-निदान
कर ग्रहण तारों की किरणें, ऊर्जित करती वर्तमान
गौ-घृत से यदि हो हवन, हो प्राण-वायु संचार
गौ माता अन्नपूर्णा………
घास-फूस खाकर भी माता, मधुमय दूध का देती दान
कण-कण रक्त का पोषित कर हमको करती है  बलवान
शुचि-संवेदन, शील-स्रोत, दुग्ध ज्यों अमृत की धार
गौ माता अन्नपूर्णा………
हरि अनंत, हरि-कथा अनंता, सो गौरस-व्याख्यान
करते-करते न थकें फिर भी हम अपमान
एक दृष्टि डालें यदि, मिल जाता है सार
गौ माता अन्नपूर्णा………
वध निर्दयी कुछ करते जाते, कटती जाती गाय
कामधेनु है कहलाती , फिर भी बच नहि पाय
सूफ़ी-संत-सियाने भक्तों की सुनते नहीं गुहार
गौ माता अन्नपूर्णा………
गौवंश अपना विशिष्ट, पश्चिम टिक न पाय
फिर काहे को गऊ अपनी, उपेक्षित-अनाथ रह जाय
दुर्दिन कब तक झेलती, चहूँ ओर अँधियार
गौ माता अन्नपूर्णा………
आर्तनाद न सुनता कोई, स्वार्थ ही ललचाय
ज़िंदा में ही फँसा के काँटा, खाल रहे नुचवाय
वैदिक संस्कृति की प्रतीक, अब कहाँ गए संस्कार?
गौ माता अन्नपूर्णा………
भटके गली-गली ये मारी, घर-घर दुत्कारी जाय
घुट-घुट जाएँ साँसें इसकी, पन्नी-प्लास्टिक खाय
ऐंठन लगे उदर जब इसका, कहाँ मिले उपचार
गौ माता अन्नपूर्णा………
टेम्पों में रेवड़-सी भरकर  भेजी, छोड़ी जाए
साफ़-सफाई इन्हें है प्यारी गंद तनिक न सुहाय
भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार
गौ माता अन्नपूर्णा………
अंग्रेज़ों की नीति को अब तक समझ न पाय
अर्थतंत्र की रीढ़ को, जाते क्यों  चटकाय
अब तो जागो भारतवासी, गैय्या रही पुकार
गौ माता अन्नपूर्णा, जीवन का आधार
— डॉ पूनम माटिया (मानद)

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia [email protected]