गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

शाम ढले तुम घर आना प्रिय,
आकर दिल में न जाना प्रिय!

तुमसे इश्क़ कर बैठे हैं बेहद,
रूठ भी जाएं तो मनाना प्रिय!

वक़्त का क्या भरोसा हमदम,
अपना बनाकर न भुलाना प्रिय!

आती नहीं हमें अदाएं सनम,
हमारी सादगी से निभाना प्रिय!

तुम्हारी जुदाई न सह पाएंगे ,
छोड़कर न सितम ढाना प्रिय!

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |