कविता

मर्यादा दिखती दफ़न यहां

अब न्याय रसातल जा पहुंचा
अब पाप पुण्य का भान नही
कफ़न में आदर लिपट चुका
अब बचा यहां सम्मान नही

अब हया यहां पर सिसक रही
सभ्यता यहां से खिसक रही
सब चका चौंध में उलझ गए
अब बचा यहां पर ज्ञान नही

अब दवा यहां पे ज़हर लगे
अब करम यहां पे कहर लगे
जो ज़ीनत दाग वही दिखते
इस “राज” में दिखती जान नही

अब रौंद के लगती लगन यहां
मर्यादा दिखती दफ़न यहां
अब समा गई दहशत मुर्दों में
खाली कोई शमशान नही

राजकुमार तिवारी ‘राज’
बाराबंकी उ0प्र0

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782