कविता

मेरा आसमान

उस वक्त तुमने कुछ न कहा
मैंने कितना कुछ था सहा
आज कहते हो रुक जाओ
ढूंढ लिया जब अपना जहां|
पहली बार जब हम थे मिले
शुरू हो गए थे सिलसिले
रूह को तुमने था छुआ
लगता था चहूं और फूल खिले|
तेरी सांसे अब मेरी धड़कन
मेरे मन मंदिर में तुम साजन
तुझ पर ही वार दिया सर्वस्व
तुम बिन कैसे बीते जीवन|
फिर करने लगी इंतजार
देर रात आते हर बार
यह खामोशी और नीची नजरें
खो दिए  तुमने सारे अधिकार|
अब आड़े आया मेरा स्वाभिमान
मुझको प्यारा मेरा सम्मान
आजादी चाहते थे तुम मुझसे
 कभी थे तुम मेरा अभिमान|
अब  मेरी अलग जमीन
और मेरा अलग आसमान|
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]