मेरा बेटा मेरा अभिमान
मेरा बेटा मेरा अभिमान
“क्या बात है डॉर्लिंग, बेटा आठ साल का भी हुआ नहीं और उसकी कुकिंग ट्रेनिंग शुरू।”
“हां जी, अब समय बदल गया है। और फिर बेटा बेटी से पीछे क्यों रहे ? खाना बनाना सिर्फ बेटियों को ही नहीं, बेटों को भी आना चाहिए। पता नहीं कब कहां जरूरत पड़ जाए।”
“बिल्कुल, बात तो तुम्हारी सोलह आना सच है।”
“वैसे पापा भी खाना अच्छा बना लेते हैं, बस रोटियां गोल नहीं बना सकते।”
“इसीलिए तो मैं तुम्हें अभी से सिखा रही हूं, ताकि तुम्हारे बच्चे ये न कहें कि पापा को गोल-गोल रोटियां बनाना नहीं आता।” मम्मी की बात सुनकर बच्चा मुस्कुराने लगा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़