विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह क्या ?
वैश्विक स्तरपर भारत अभी दुनियां का सबसे अधिक जनसंख्या वाला सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है, जिसका लोकतंत्र का मंदिर संसद भवन है,जिसमें सारे देश से चुनकर आए लोकसभा,राज्यसभा सदस्य बैठकर जनता केप्रतिनिधि के रूप में जनता के हितों के लिए लड़ाई करके कानून बनाकर, विकास परियोजनाओं संबंधी नियम विनियम पर चर्चाएं कर देश को विकास के पथ पर ले जाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। हमें याद होगा 2014 में हमारे आज के पीएम ने उस लोकसभा के मंदिर की सीढ़ियों पर नतमस्तक होकर माथा टेका था यह हमारा पवित्र लोकतंत्र मंदिर है। दूसरी तरफ सरकार का थिंकटैंक नीति आयोग इस लोकतंत्र की एक रूप से जड़ ही है। यह जनता के विकास में नीतियां बनाता है जिसके दूरगामी परिणाम जनता के हितों में मील का पत्थर साबित होता है, जिसकी आठवीं बैठक 27 मई 2023 को 8 प्रमुख विषयों को ध्यान में रखकर की गई जिसका देश के सभी मुख्यमंत्रियों केंद्र शासित प्रदेशों को न्योता भेजा गया था और दिनांक 28 मई 2023 को इसी कड़ी में लोक सभा के नए मंदिर का उद्घाटन हो रहा है परंतु यह क्या? लोकतंत्र का हब, वैश्विक प्रतिष्ठित भारतीय लोकतंत्र में यह क्या? उपरोक्त दोनों पैरों, नीति आयोग की बैठक और नए लोकतंत्र के मंदिर के उद्घाटन में 21 राजनीतिक पार्टियों और अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों नें बहिष्कार कर दिया गया है। उधर नए संसद भवन के उद्घाटन संबंधित याचिका को दिनांक 26 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है और कहा है यह विचार योग्य नहीं है और उसी दिन देरशाम पीएम ने अपने ट्विटर पर पहली बार पब्लिक डोमेन में संसद भवन का एक वीडियो शेयर कर उसे शेयर करने की अपील की और बताया कि हर भारतवासी गौरवविंत महसूस कर रहा है। मेरा मानना है कि शायद इसी तरह के व्यवहारों को ध्यान में रखकर वैरायटी ऑफ डेमोक्रेसी (वी-डैम ) और एलडीआई इंस्टीट्यूट द्वारा अपनी चुनावी लोकतंत्र रिपोर्ट 2023 में भारत को 108 वीं दिया है, जिसका वर्णन नीचे किया गया है जो चौंकाने वाला है।चूंकि उपरोक्त दोनों मुद्दे बीते कुछ दिनों से भारतीय राजनीति में छाए हुए हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह क्या ?
साथियों बात अगर हम 28 मई 2023 को होने वाले नए संसद भवन के उद्घाटन पर विपक्ष के विरोध की करें तो,नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर विपक्ष का विरोध बढ़ता जा रहा है 21 पार्टियां उद्घाटन के विरोध में एकसाथ खड़ी हो गई हैं। अब नीति आयोग की एक बैठक को लेकर भी विपक्ष दूरी बना रहा है। दिल्ली के सीएम ने भी इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। देश के नए संसद भवन के उद्घाटन 28 मई को है,इसको लेकर रोज नए नए ट्वस्टि देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों नेकार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। वहीं मामाल देश की सर्वोच्च अदालत में भी दस्तक देता दिखा। अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संसद भवन के उद्घाटन को लेकर दायर की गई याचिका खारिज कर दी है।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत की प्रथम नागरिक और संस्था के प्रमुख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि आप ऐसी याचिकाएं क्यों दायर करते हैं, हम इस पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा था कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया गया। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्र के मुखिया राष्ट्रपति को न बुलाना गलत है।
साथियों बात अगर हम पहली बार संसद पहुंचने पर नतमस्तक होनें की करें तो, जब पहली बार संसद पहुंचे थे,उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर की सीढ़ियों पर माथा टेका था। कार से उतरने के बाद वो संसद की सीढियों को दंडवत प्रणाम करते हुए अंदर गए थे।
साथियों बात अगर हम 27 मई 2023 को चल रही नीति आयोग की बैठकका विपक्षद्वाराबहिष्कार करनें की करें तो, इस बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम, तेलंगाना के सीएम के और कांग्रेस शासित प्रदेशों के सीएम ने शामिल होने से मना कर दिया है।इसके बाद पंजाब सीएम के सीएम ने भी बैठक का बहिष्कार किया है। ममता का आरोप है कि बैठक में सिर्फ बयानबाजी होती है, उन्हें घंटो तक बिठा कर रखा जाता है, मीटिंग में कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिलता है, ऐसे में देखा जाए तो केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है।
साथियों बात अगर हम वी डेम एजेंसी द्वारा चुनावी लोकतंत्र सूचकांक 2023 में भारत को आश्चर्यचकित 108 वाँ स्थान देने की करें तो, तंजानिया, बोलीविया, मैक्सिको, सिंगापुर और यहां तक कि नाइजीरिया जैसे देशों से बहुत पीछे है, जो वी-डेम इंस्टीट्यूट द्वारा 2023 के लिए अपनी चुनावी लोकतंत्र रिपोर्ट में मामूली 91 वें स्थान पर आता है। यह रैंकिंग कई लोगों के लिए एक झटके के रूप में आ सकती है, लेकिन यह तंजानिया, बोलीविया, मैक्सिको, सिंगापुर और यहां तक कि भारत जैसे देशों से भी बहुत नीचे है। प्रमुख बिंदु, डेमोक्रेसी इंडेक्स (एलडीआई) पर भारत की स्थिति एक बार फिर भयावह रूप से कम है, और यह 2022 में 100 वें स्थान से गिरकर इस साल 108 वें स्थान पर आने का दुखद गौरव भी है।अपनी सबसे हालिया रिपोर्ट में, जॉर्ज सोरोस-वित्त पोषित वी-डेम इंस्टीट्यूट ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र का औसत वैश्विक नागरिक स्तर 1986 तक गिर गया था।कई लोगों को इस दावे को स्वीकार करना मुश्किल होगा क्योंकि 1980 के दशक के मध्य से 35 वर्षों में दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक परिवर्तन हुए हैं।
साथियों बात अगर हम 27 मई 2023 को जारी नीति आयोग की बैठक की करें तो, नई दिल्ली के प्रगति मैदान के नए सम्मेलन केंद्र में विकसित भारत @ 2047: टीम इंडिया की भूमिका विषय पर अपनी शासी परिषद की 8वीं बैठक अभी जारी है, दिन भर चलने वाली इस बैठक के दौरान आठ प्रमुख विषयों पर चर्चा की जा रही है, जिनमें (i) विकसित भारत@2047, (ii) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान, (iii) बुनियादी ढांचा और निवेश, (iv) अनुपालन को कम करना, (v) महिला सशक्तिकरण, (vi) स्वास्थ्य और पोषण, (vii) कौशल विकास और (viii) क्षेत्र के विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए गति शक्ति शामिल हैं।इस बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों/राज्यपाल/उपराज् यपालों, पदेन सदस्यों के रूप में केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होंगे। नीति आयोग के अध्यक्ष के रूप में पीएम बैठक की अध्यक्षता की। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में अपने आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर है जहां यह अगले 25 वर्षों में त्वरित विकास का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। इस संदर्भ में, शासी परिषद की 8वीं बैठक 2047 तक विकसित भारत के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का अवसर प्रदान करती है जिसमें केंद्र और राज्य टीम इंडिया के रूप में मिलकर काम कर सकते हैं।
— किशन सनमुख़दास भावनानी