गुरु रवींद्र नाथ टैगोर को समर्पित अंतस् की 46 वीं अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी
अंतस् की 46 वीं गोष्ठी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुई 29 मई 2023 की रात्रि 8 बजे से सवा दस बजे तक।
समय अनुशासित यह गोष्ठी गुरु रवींद्र नाथ टैगोर को समर्पित की गई क्योंकि 7 मई को उनकी जयंती मनाई जाती है। टैगोर बहु आयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक, कवि,रंगकर्मी इत्यादि रहे। भारत और बांग्ला देश का राष्ट्रगान उन्होंने लिखा ।
अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध डॉ जयसिंह आर्य की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का संयोजन, सञ्चालन संस्था अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कवयित्री पूनम माटिया ने किया। बतौर मुख्य अतिथि चिरपरिचित ग़ज़लगो अनिल वर्मा मीत ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ की। विशिष्ट अतिथि रहीं जापान निवासी रमा शर्मा जो अंतस् की अंतरराष्ट्रीय सचिव भी हैं।
झबुआ, मध्यप्रदेश से कवि, गीतकार भारती सोनी द्वारा शारदे वंदन के पश्चात कोलकाता से डॉ रचना सरन ने गुरु रवींद्रनाथ को रवींद्र संगीत की मधुर प्रस्तुति से श्रद्धांजलि अर्पित की।
मंत्रमुग्थ काव्य रसिक श्रोताओं ने भरपूर आनंद की अनुभूति की। संस्था की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंशु जैन ने भी गुरुवर के संदर्भ में रोचक तथ्य प्रस्तुत किये। डॉ नीलम वर्मा ने अपने काव्य पाठ के साथ साथ टैगोर द्वारा रचित कविता का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया।
गोष्ठी में एक और मुख्य विषय-नवीन संसद भवन के स्वतंत्रता-क्रांति के महानायक वीर सावरकर की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा देश को समर्पण पर गर्व एवं मंगलकामनाएं साझा की गयीं। पूनम माटिया ने इसी संदर्भ में पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं–
*अपनों के द्वारा निर्मित वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है नया संसद भवन*
*शक्ति, भक्ति और मुक्ति के सिद्धांतों का मंगलाचरण है नया संसद भवन*
*विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र की आशाओं, आकांक्षाओं का अनावरण है नया संसद भवन*
*अशोक स्तंभ और राजदंड से सुशोभित लोकसभा, राज्यसभा का पुनर्जागरण है नया संसद भवन*।
इसके अतिरिक्त विभिन्न विधाओं और रसों में काव्य की रसधार बही। उपस्थित सभी कवियों और सुधि श्रोताओं ने जिसका लुत्फ़ उठाया।
डॉ जयसिंह आर्य-दिल्ली- गीत-हो मुश्किलों के घुट जो भी पी ले प्यार से/चार दिन की ज़िन्दगी है जी ले प्यार से|
अनिल वर्मा मीत –दिल्ली-कभी बच के गुज़रे/ कभी मुलाक़ात करली
रमा शर्मा-जापान- माँ बच्चे का रिश्ता सत्यम शिवम् सुंदरम् जैसा होता है
राजीव सिंहल-ग़ाज़ियाबाद- रूठ जाओगे मुझसे कभी तुम दिल को कब ये शिकायत हुई है/तेरी महफिल में जब आ गया हूँ, जाने फिर क्यूँ सियासत हुई है
डॉ दिनेश कुमार शर्मा, अलीगढ़…..देश को समर्पित छंद
कृष्ण कु दुबे, कोलकाता- कभी हम ज़िन्दगी की उलझनें सुलझा नहीं पाये/भटकते रह गये मंज़िल तलक भी जा नहीं पाये
प्रेम सागर ‘प्रेम’-नोएडा- यारो हमने बुरे वक्त के सीने पर ही वार किया है/कश्ती थी मझधार में जिसको हिम्मत से ही पार किया है
रचना सरन-कोलकाता…….. नज़रों का मिलना था उनसे/ख़्वाब सजा इक अंगूठी में
आँखों में चमका सितारा जो/हीरा था इक अंगूठी में
पूरा न था वो चाँद फ़लक पे/आधा रखा इक अंगूठी में ।
डॉ नीलम वर्मा-दिल्ली- कविता यदि केवल कविता होती/वर्षा की बूँद क्या बनती मोती ?
शब्दों की गहराई क्या फिर सागर से गहरी होती ?
डॉ उषा अग्रवाल- छतरपुर, मध्यप्रदेश.. कोई जब अपने कर्मों में यहां नाकाम होता है/तो फिर उसकी तबीयत को कहां आराम होता है
सोनम यादव-ग़ाज़ियाबाद-दर पे आस थी लगी, मात खायी इस तरह/बेबसी के सिलसिले दिन ढले रुला गए
प्रवीण कुमार सोनी-झाबुआ-गीत-जय हिन्द हमारा नारा है/वीरों ने देकर जान इसको संवारा है
कृष्ण बिहारी शर्मा-ग़ाज़ियाबाद-गीत -क्यों न मेरी अँजुरी में अब सकल संसार हो
और दिल्ली से पूनम माटिया –इक तसव्वुर तेरा है दुश्मन सा/ जो मुझे रात भर जगाता है
एक खुशबू-सी आने लगती है / जब तू मेरे क़रीब आता है
ने श्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ देकर अंतस् की 46वीं गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान कीं।
बंगलोर से सुशीला श्रीवास्तव, दिल्ली से अंशु जैन और सुनीता अग्रवाल की श्रोता रूप में उपस्थिति ने भी गोष्ठी को ऊर्जा प्रदान की।
अतिथियों के उत्साहवर्धक उद्बोधन ने अंतस् के कार्यों की सराहना कर अपना दायित्व और बेहतर तरीके से निभाने के लिए प्रेरित किया। डॉ जयसिंह आर्य ने अपनी प्रतिक्रिया समय-समय पर त्वरित रचित काव्य द्वारा भी देकर सभी का मनोबल बढ़ाया।
अंत में सभी को औपचारिक धन्यवाद संस्था के महत्त्वपूर्ण सदस्य कृष्ण बिहारी शर्मा ने ज्ञापित किया तथा गोष्ठी में स्वयं के काव्यपाठ के अतिरिक्त अन्य कवियों को सुन कर विषय-वैविध्य, शब्द-संपदा तथा काव्य-शिल्प सम्पन्न करने पर बल दिया।
अंतस् की यह गोष्ठी यु ट्यूब पर लाइव रही नरेश माटिया और तरंग माटिया के प्रयासों से|