लड़ने को तैयार हुई है तुम्हारी ये आंखे,
चुप रहें कर भी बातें कर रही है तुम्हारी आंखें।
दिल की बातें आंखों से बयां हो रही है,
चुप रहें कर भी बातें कर रही है तुम्हारी आंखें।
जिन्हे मंसूब कर देती है वीराने तेरी आंखें,
चुप रहें कर भी बातें कर रही है तुम्हारी आंखें।
बरसती है आंखें तन्हाई अज़ा करती है,
चुप रहें कर भी बातें कर रही है तुम्हारी आंखें।
नई नहीं है ये उसकी पुरानी है ये आदत,
चुप रहें कर भी बातें कर रही है तुम्हारी आंखें।
— बिजल जगड