लघुकथा

दूसरी मोहब्बत

बचपन की दोस्त वैदेही की शादी ठीक हो गई थी. अब उसे  शुभकामना देने उसके घर जाना था, सुबह-सुबह उसके घर शुभकामना देने पहुंच गई. सबके सामने वह बड़ा खुश नजर आ रही थी. फिर अंकल आंटी यानी वैदेही के मां पिताजी से मिली, बधाई दिया फिर दोनों दोस्त मिलकर गप्पे लड़ाने लगे. थोड़ी देर बाद वैदेही मुझे पकड़कर खूब जोर से रोने लगी. मुझे पता तो था कुछ सालों से उसका निखिल नाम के लड़के से प्यार चल रहा था, उससे  शादी भी करना चाहती थी, लेकिन उसके घर वाले इस रिश्ते से खुश नहीं थे. वैदेही की पिता की तबीयत कुछ खराब चल रही थी डॉक्टर भी कहे थे उन्हें किसी तरह का दुख ना पहुंचे. इसी वजह से  वैदेही और निखिल ने मिलकर फैसला किया कि वह दोनों अपने अपने पिता के पसंद से ही शादी करेंगे. लेकिन इतने सालों का प्यार इतना आसानी से भूलना संभव नहीं था. इधर वैदेही की  शादी की तिथि निश्चित हो गई और दोनों घरों में तैयारियां धूमधाम से होने लगी. लड़के वाले  भी सारी की सारी तैयारियां वैदेही के पसंद से कर रहे थे. साड़ी कपड़ा गहना सब वैदेही के  पसंद का ही हो रहा था. सिर्फ  गले का हार बनाना बाकी रह गया था. लड़क़े  वाले अपने एरिया के प्रसिद्ध ज्वेलरी शॉप में वैदेही को बुलाया, वैदेही भी नियत समय पर घर से निकल गई. दुकान से थोड़ी ही पहले उसकी गाड़ी का बहुत बुरा एक्सीडेंट हो गया वैदेही काफी जख्मी हो गई. आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों की टीम ने कहा उसके पैर में काफी चोट आई है, हो सकता है कि उन्हें ठेऊने  के नीचे से पैर को काटना पड़े. वैदेही की पिता यह खबर सुनकर काफी परेशान हो गए उन्हें लगा कहीं लड़के वाले शादी से इंकार ना कर दे. सारी तैयारियां तो हो ही चुकी थी सिर्फ शादी होने वाली थी.फिर वैदेही का डॉक्टरों की टीम द्वारा इलाज चलने लगा. करीब 1 महीना लगा वैदेही को ठीक होने में. इधर जिस लड़के से वैदेही की शादी हुई थी उसने, उसके इलाज में कोई कमी नहीं रखी. वैदेही के पिता उनकी भी तबीयत खराब होने लगी, उन्हें डर था कि अब आगे क्या होगा. वैदेही के पिता से मिलने वह लड़का आया उसने कहा अंकल आप इतना परेशान क्यों है, आपने क्या सोचा वैदेही का पैर कट गया है तो मैं उससे शादी नहीं करूंगा. आपने मुझे इतना गिरा हुआ कैसे समझ लिया. अगर शादी के बाद वैदेही के साथ यह हादसा होता तो क्या मैं उसे छोड़ देता. यह सुनकर वैदेही क़े पिता की आंखों से आंसू बहने लगे, वैदेही भी यह सुनकर द्रवीभूत  हो गई उसकी आंखों से भी आंसू गिरने लगे, ना जाने निखिल की जगह उस लड़के ने उसके मन में अपना जगह बना लिया. वैदेही ने उस लड़के को अपनी दूसरी मोहब्बत समझकर पूरी तरह से स्वीकार कर लिया था .फिर उसके ठीक होने के बाद एक निश्चित समय पर दोनों का विवाह संपन्न हो गया. कहा जाता है पहली मोहब्बत को भूलना असंभव होता है, लेकिन कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है दूसरी मोहब्बत पहली पर हावी हो जाती है, वैदेही के साथ भी ऐसा ही हुआ.

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com