गीतिका/ग़ज़ल

जाने दो

मुझको इस दुनिया से दूर जाने दो
याद को रोको नही याद आने दो

दिल है मेरा ये कोई पत्थर तो नहीं
टूटता है दिल है तो टूट जाने दो
याद को,,,,,,,

कदम कदम पर गमों का साया है
गमों को अब तो मेरे मुस्कुराने दो
याद को,,,,,,,,,

जख्म अपनों से ही खाए हैं कई मैने
अब तो इन घावों को भर जाने दो
याद को,,,,,,,,,,,

मुस्कुराती हुई जिन्दगी न हो शायद
बहते हैं अश्क तो बह जाने दो
याद को,,,,,,,,,,

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.