गीतिका/ग़ज़ल

ले गया कोई

मुझे पलकों के आंगन में छुपा कर ले गया कोई
हजारों ख्वाब आंखों में बसा कर लें गया कोई।

वो तूफान सा आया मेरी खामोश दुनिया में
सम्हलते हम भला कैसे उड़ा कर ले गया कोई।

आ तुमको ले चलूं मैं जहां बस प्यार मिलता है
मेरे दिल को ये उम्मीदें बंधा कर ले गया कोई।

बड़ी खामोशी थी सोए हुए थे मुद्दतों से हम
पकड़ कर हाथ यूं मेरा जगाकर ले गया कोई।

कोई मंजिल न थी राहें हम ग़म के भंवर में थे
हम तो डूब ही जाते बचाकर ले गया कोई ।

बड़ी ही जान लेवा थीं ये तन्हाइयां जानिब
मुझे अपना बना दिल में बसाकर ले गया कोई।

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर