गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

आँख क्यों है भरी,क्यों नमी है बहुत
आँख की बूंद ये,कीमती है बहुत
नींद क्यों खो गई,क्यों हो बेचैन तुम
खोज लो चाँद को,चांदनी है बहुत
कायरों को कभी मान मिलता नही
जिन्दगी की लडा़ई कड़ी है बहुत
इस निराशा से होगा भला कुछ नही
आस,विश्वास की दो घड़ी है बहुत
छोड़ दो देखना,बस ये मरुथल यहाँ
प्यास अपनी बुझाओ,नदी है बहुत
जब लगे, हो अकेले जमाने में तुम
ढूंढ़ लो बस हँसी,ताजगी है बहुत
हार कर ही यहाँ,जीत मिलती सदा
दूर है जीत, तुममें कमी है बहुत
 राह के सब अन्धेरे भुला कर बढ़ो
मन्जिलों पे सजी, रोशनी है बहुत
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त