धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लोक श्रद्धा का केन्द्र – नागनाथ महादेव

शैव उपासना के धाम रहे मालवा, राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में हर इलाके में एक से बढ़कर एक शिव मन्दिर विद्यमान हैं जिनमें प्राचीन शिवालयों की दीर्घ श्रृंखला है। इन शिवालयों में कई प्राचीन और प्रसिद्ध शैव धाम हैं जिनमें कुशलगढ़ का नागनाथ महादेव प्रमुख है।

कुशलगढ़ शहर के पास नागनाथ महादेव का प्राचीन मन्दिर श्रद्धा का केन्द्र है। हिरण नदी के मुहाने शहर से बाहर अवस्थित यह धाम भारती सम्प्रदाय का है जिसका मुख्यालय उज्जयिनी में है। इस मन्दिर के गर्भ गृह में आधा फीट ऊँचाई वाला काले रंग का शिवलिंग है जिसके लिए पीतल की जलाधारी बनी हुई है।

सामने दीवार पर तीन खण्डों में एक-एक फीट ऊँची गणेश, पार्वती एवं कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। यहां एक संत की जीवित समाधि श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। पास ही शिवभक्तों ने वृक्षारोपण कर उद्यान विकसित किया है।

इसके अलावा धाम क्षेत्र में राम देव मन्दिर व हनुमानजी की छोटी मंदरी है। सती माता के तीन स्थानक भी हैं। मन्दिर के सभा मण्डप के मध्य प्राचीन धूंणी है तथा पास ही आश्रम बना हुआ है। नेहरू उद्यान भी इस धाम से सटा हुआ है।

कहा जाता है कि किसी समय यहां नागों की बहुतायत के चलते इस शिवालय का नामकरण नागनाथ महादेव हुआ। आज भी यदा-कदा श्वेत और अन्य रंगों के नाग यहां दिख जाते हैं। यहीं कुछ दूरी पर नदी के तीर पर मेहराबदार पुराना श्मशान घाट बना है। ऐसा वागड़ में और कहीं देखने को नहीं मिलता।

किम्वदन्ती है कि इस मन्दिर को कोई यति आकाश मार्ग से लाया और यहां स्थापित कर दिया। कहा जाता है कि इस मन्दिर की नींव नहीं है।

नागनाथ मन्दिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा भारी धाम है, जहां साल भर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और उत्सवों का आयोजन होता रहता है। काफी दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते हैं और आस्था का सागर लहराते हैं।

डॉ. दीपक आचार्य

*डॉ. दीपक आचार्य

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