ठहाकों के बीच मदमस्त होते संग पेड़ ये बहारें- योग
रोज़मर्रा की ये आम सी जिंदगी, कभी-कभी इतनी बोझिल और अरूचीपूर्ण लगती जिससे इंसान जो चुस्त फुर्त है वो भी खुद को शिथिल सा पाने लगता है। इसी समस्या को देखते हुए हमारे वरिष्ठ जनों ने ही कुछ ऐसा कर दिखाया जो कि आज पूरे भारत देश में बहुत जगह आपको देखने को मिल जाएगा बाग बगीचों में चाहे वह सुबह का समय हो या शाम का समय हो। हमारे वरिष्ठ जनों ने एक साथ मिलकर एक ही जगह पर चाहे वह परिचित हो या ना हो दोस्ती यारी निभाते हुए हास्य योग नामक क्लब बनाना शुरू किया। जिसमें करना क्या है शाम को एक जगह सभी मित्रों को मिलकर योग करना है अपनी दिनभर की दिनचर्या से कुछ समय खुद के लिए निकालकर और जोर-जोर से ठहाके लगाने हैं। चाहे दुनिया देखे कुछ भी कहे पास से गुजर कर तंज कसे तो भी उन्हें नजरअंदाज करते हुए अपनी मस्ती में मस्त रहना है। धीरे-धीरे हास्य क्लब की ओर नव युवा भी देखा जाए तो आजकल आकर्षित हो रहे हैं वह भी अपनी दिनभर की दिनचर्या से कुछ पल निकालकर वरिष्ठ लोगों के संगत में रहकर जोर-जोर से ठहाके लगाते हुए, एक समूह में योगा करते हुए आपको जगह जगह पर मिल जाएंगे यह हास्य योग समुह नव युवाओं को बहुत पसंद आ रहा है। ठहाकों से यह फायदा है कि हमारे शरीर के अंदर की नसें धमनियां पूर्ण रूप से स्वतंत्र होकर खुल जाती है, ठहाको से शरीर के भीतर घुसती शुद्ध वायु से भी फेफड़े साफ होते। साथ ही शुद्ध रक्त का संचार होता। नवीन रक्त भी बनता। साथ ही योग से हमारे शरीर की ब्लॉक नसें भी खुल जाती है बस परिवर्तन कुछ करना है अपनी दैनिक दिनचर्या मे तो बस इतना कि आपको खुद के लिए वक्त निकालना है। खुद की निरोगी काया के लिए, लोग क्या कहेंगे, इस समाज की सोच को, सबको नज़र अंदाज़ कर जोर जोर से ठहाका लगाना है। योग करना है। योग जो कि आज वर्तमान की आपाधापी, बढ़ते प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण को ध्यान मे रखते हुए बहुत जरूरत है। बढ़ती बिमारियों को ध्यान रखते हुए नित कुछ समय निकालकर खुद के लिए जियें। तो आओ मिल योग करें। इससे हम नवयुवा अपने वरिष्ठों को भी समय देकर उन्हें सम्मान दे पाएंगे साथ ही उनसे ज्ञान रूपी जानकारी पा सकते हैं अपनी संस्कृति, संस्कार के बारे में भी सीख सकते हैं।
— वीना आडवाणी तन्वी