काफी है
मुश्किलों को पार करने के लिए,
पिता की छाया ही काफी है,
अपनी पहचान बनाए रखने के लिए,
पिता का सरमाया ही काफी है।
कंधे पर बिठाकर कैसे मेले दिखाए,
आइसक्रीम खिलाना ही काफी है,
चलना सिखाया, जब कदम डगमगाए,
मन में याद रखना ही काफी है।
आंधी-तूफान में कैसे वे दीवार बने,
हर मुश्किल से उबारना ही काफी है,
आफत से बचाने को दुधारी तलवार बने,
हमेशा मन में बसाना ही काफी है।
(पितृ दिवस 18 जून पर विशेष)