कविता

धरोहर का रक्षण

पांच तत्व से देह बनाई, उस में सांस की सुरती सजाई,
इसकी रक्षा करनी हमको, प्रभु से यह जो धरोहर पाई। (1)
जन्मदाता मात-पिता ने, हमको जीने योग्य बनाया,
उनके संस्कारों की थाती, धरोहर को हमने है अपनाया। (2)
जिस माटी ने जन्म दिया है, पाल-पोसकर बड़ा किया है,
हम हैं उसकी धरोहर प्यारी, क्या कभी हमने ध्यान दिया है? (3)
इसकी सभ्यता अक्ष्क्षुण रखना, मान सदा संस्कृति का रखना,
हम सबका कर्तव्य है बनता, भ्रातृभाव से मिलजुल रहना। (4)
हिन्दी भाषा अपनी भाषा, धरोहर है अपनी शान है,
इसकी प्रगति करते रहना, कर्तव्य अपना महान है। (5)
अपने बड़ों का आदर करना, छोटों पर करना स्नेह-वर्षण,
सहेज पाए इस धरोहर को, होगा संस्कृति का शुभ रक्षण। (6)
अद्भुत कलाकृतियां-राष्ट्र स्मारक, देवालय और महल-गुफाएं,
धरोहर हैं ये अपने देश की, इनको सहेजें देखें-दिखाएं। (7)
नदियां-पर्वत-मृदा-जंतु-वन, देते हमको जो जीवन-धन,
ये संसाधन तो सीमित हैं, करना इनका प्रतिपल रक्षण। (8)
प्रेम-प्यार और स्नेह-स्यंदन, देते हमको नव स्पंदन,
इनमें कमी न आने पाए, बरसेंगे ये बन जीवन-घन। (9)
वेद-पुराण, गीता-रामायण, करते नित जिनका पारायण,
इनको सच्ची धरोहर समझें, इनमें बसते हैं नारायण। (10)

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244