ग़ज़ल
आंसू
गमजदा होते हैं जब दर्द से खारे आंसू |
ध्यान रखते हैं मेरा खूब,हमारे आंसू |.
वज़ह बेवजह कभी इश्क की रुसवाई में,
बहने लगते है वहीं हिज़्र के मारे आंसू |
दर्द की लहरो से साँसे जो उखड़ने लगती,
जिंदगी बख्शते बह- बह के किनारे आंसू |
हमने आंखों के समंदर में उतर कर देखा,
रस्मे उल्फत को निभाते हैं ये प्यारे आंसू |
भाव दर्शाते है खुशियों का गमों का हर दम,
चांद सूरज ये सितारे ये शरारे आंसू |
हर तरफ आग है तीखी सी जलन दर्द भरी,
बहते आंखों से “मृदुल” दिल के सहारे आंसू |
मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”