राजनीति

वर्तमान पत्रकारिता की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल

पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण सार्वभौमिक माध्यम है जो समाज में सत्यता, विचारों की विविधता और सरकारी व्यवस्था की जांच करने का अवसर प्रदान करता है। पत्रकारिता का विशेष दायित्व लोकतांत्रिक समाजों में उनके संविधानिक अधिकारों का पालन और रक्षा करने का होता है। यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है जो समाचारों, विचारों, सूचनाओं और क्रियाकलापों को जनता तक पहुंचाने का जिम्मा संभालती हैं। इसके माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लोगों को जागरूक करने का कार्य होता है। पत्रकारों की क्षमता और निष्ठा सीधे उनके काम की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती हैं और जनता के आदर्शों को मजबूती से बनाए रखती हैं। इसलिए मीडिया को समाज में जानकारी के आदान-प्रदान की गरिमा और निष्पक्षता की गारंटी देने का अहम भूमिका निभानी चाहिए। हालांकि इसके साथ ही इस संबंध में कुछ सवाल भी उठते हैं। क्या पत्रकारिता (मीडिया) आजकल वास्तविकता की परख और प्रतिष्ठा बनाए रख पा रही है ?
पत्रकारिता वास्तविकता की परख, प्रेषण और मान्यता के लिए गारंटी के रूप में मानी जाती है, लेकिन आजकल कुछ पत्रकारों के माध्यम से तथ्यों को अनृत करना और देश की सामाजिक वास्तविकता और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालने की कोशिश की जा रही है। फेक न्यूज़, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग, विज्ञापन और राजनीतिक दबाव के प्रभाव में आकर पत्रकारिता की प्रतिष्ठा कम हो रही है। यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो जरूरी मुद्दों को उठाने, विचार करने और जागरूकता पैदा करने में मदद करता है। पत्रकारों का कार्य बहुत ही संवेदनशील और काफी जिम्मेवारी वाला होता है। ये लोग लोकतंत्र के संरक्षक कहे जाते है, इनका कार्य मुद्दों का विश्लेषण करना, लोगों को आवश्यक जानकारी और सूचना प्रदान करना, देश और समाज में चल रहे गतिविधियों से लोगों को अवगत कराना। सत्य और असत्य के बीच निस्वार्थ अंतर बताना साथ-साथ सरकारी व्यवस्था के प्रभाव को जांचने में मदद करना होता है। लेकिन आजकल पत्रकारिता इन सब चीजों से भटकी हुई प्रतीत होती है। अधिकांश पत्रकारिता जरूरीयात चीजों को प्रसारित करने में गौण साबित सिद्ध हो रही है। इसकी मुख्य ध्येय न्यायसंगत होनी चाहिए, लेकिन कुछ कार्यकलापों के निमित्त पत्रकारिता की न्यायसंगतता को लेकर अनेकों सवाल उठाए हैं। पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग, इंसाफ में जल्दबाजी करने की गलती और मुद्दों को गहराई से जांच नहीं करने के आरोप उठाए जाते हैं। इसे न्यायसंगत बनाए रखने के लिए पत्रकार को ईमानदार होना, उसे सत्यनिष्ठ और गहराई से विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है। पत्रकारिता (मीडिया) को लेकर इसका दूसरा पहलू यह भी है कि वर्तमान में पत्रकारों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है की वे स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग कर सकें। सरकारों या अन्य प्रभावशाली ताकतों के दबाव के चलते कुछ पत्रकारों की स्वतंत्रता पर प्रश्न उठते हैं। पत्रकारिता को मुक्त और निर्भीक रहने के लिए प्रभावशाली समर्थन और आश्रय की आवश्यकता होती है, जिसका आभाव होना भी कहीं ना ही पत्रकारिता को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहा हैं। आजकल  अविश्वसनीय और अनाधिकृत लोगों के कारण  यूट्यूब, फेसबुक जैसी अनेकों सोशल मीडिया के माध्यम से गलत रिपोर्टिंग और भ्रामक सूचना का प्रसारण भी कहीं ना कहीं पत्रकारिता के ऊपर लगातार प्रश्न खड़ा कर रहा हैं, और इसे ओछ बनने की दिशा में अग्रसर कर रहा है।
— डाॅ. पंकज भारती

डॉ. पंकज भारती

सचिव- बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ इकाई- तरैया, सारण कार्यरत:- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, इसुआपुर, जिला- सारण, बिहार। मास्टर ट्रेनर- SCERT Patna, Bihar निवास स्थान:- छपरा, सारण, बिहार संपर्क- (Mob/WhatsApp) 7549519596