बालकहानी : फल पृथ्वी पर क्यों गिरा?
बरसात का मौसम था। सर्द हवा चल रही थी। आकाश में काले-काले बादल छाए हुए थे। आज शिखा और शिखर पत्थर मार-मार कर जामुन गिरा रहे थे। ये दोनों भाई-बहन कक्षा पाँचवीं के छात्र थे। विज्ञान विषय के प्रति विशेष रूचि रखने वाला शिखर हरेक प्रश्न का जवाब किसी न किसी तरह ढूँढ़ ही लेता था। टहनी से विलग होकर नीचे गिरता फल देख उसके दिमाग में एक नई बात घूस गयी कि आखिर यह फल पृथ्वी पर क्यों गिरा। वह तुरंत अपनी विज्ञान-शिक्षिका रूबीना बानो के घर चला गया।
‘गुड आफ्टर नून मैम’, मोल्डिंग चेयर पर बैठी रूबीना से शिखर हँसते हुए बोला।
‘गुड आफ्टर नून शिखर’। आओ बैठो। अरे क्या बात है… इतना क्यों हाँफ रहे हो तुम ?’ रूबीना अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरती हुई बोली।
शिखर स्टूल पर बैठकर दम मारने लगा। रूबीना ने किचन से एक गिलास पानी लाकर शिखर को दिया। शिखर के पानी पीने के बाद रूबीना बोली- ‘अच्छा भाई, अब बताओ क्या बात है ?’
शिखर ने अपनी पूरी बात रूबीना को बता दी। विज्ञान के प्रति शिखर की विशेष अभिरुचि देख रूबीना को बड़ा अच्छा लगा। मीठी मुस्कुराहट के साथ बोली- ‘शिखर, फल पेड़ से पृथ्वी पर इसलिए गिरा कि पृथ्वी हमेशा एक विशेष बल का प्रयोग करती है, जिसे हम ‘गुरुत्वाकर्षण बल’ कहते हैं; और इसी बल से पृथ्वी हर वस्तु को अपनी ओर खींचती है। जामुन के फल पर भी पृथ्वी अपना गुरुत्वाकर्षण बल का प्रयोग किया; और फल नीचे गिर गया।’
शिखर रूबीना की बात कान का खोलकर सुन रहा था। फल का पृथ्वी पर गिरना उसे समझ आ गया। बोला- ‘अब मैं समझ गया मैम जी। चलता हूँ। थैंक यू मैम जी।’
— टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’