मुक्तक/दोहा

दोहे

ओस धरा को भा रही, हर्षित दिखा प्रभात
बूंद धरा की जिन्दगी जीवन,सांस, हयात
घन बरसे झमझम, कहें,लाये जल सौगात
सूखी धरती का हमें,ही,तो हरना ताप
जब गर्मी हो धूप हो,उमस भरी हो रात
बूंदे,बादल,बिजलियां,भाती है बरसात
कहीं बूंद उल्लास दे,और कहीं दे घात
बेहिसाब जल है कहीं,कहीं सूखते पात
नदियों में जल बढ़,रहा,खतरनाक हालात
नदी उफन कर बह रही,मेघ करें उत्पात
हालत बड़ी खराब है,बारिश दे आघात
कहे झोपड़ी थम जरा,क्यों बरसे दिन रात
आंधी और तूफान हैं,फैला झंझावात
मौसम कहीं सुहावना,कहीं कष्ट शुरूआत
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त