मटका थिम्बक सिंचाई
मटकों से रिसता पानी पौधो को पेड़ बनाने एवं संरक्षित करने के लिए ‘मटका थिंबक सिंचाई ‘पर्यावरण संरक्षण के दिशा में किया जाने वाला नया प्रयोग है |गर्मी के दिनों में ये ज्यादा लाभकारी होता है। इस प्रक्रिया के लिए तक़रीबन १० लीटर तक पानी की क्षमता वाला मटका लेकर उसके पेंदे में छोटा छेदकर जुट की सूतली का एक छोर मटके में डालकर गठान लगा दी जाती है | इस तरह मटके का पानी जमीन में रिसेगा जो पौधो की जड़ों के आस पास के क्षेत्र को गीलाकर पौधों को सींचेगा | इस प्रकार की प्रक्रिया में पौधो को बार बार पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती | प्लास्टिक की स्लाइन की काली बोतल में पानी भरकर उसे लकड़ी के सहारे बांधकर उसमें लगी पाइप नली के द्धारा भी पौधों को बचाने की भूमिका निभाई जाती है | हालांकि इसमें रखा पानी की अवधि मात्रा एक दिन ही होती है | दोबारा से पानी को भरना होता है | कई बाल्टी में पानी लेकर लोटा लेकर हर एक पौधों में पानी डालते जो की कठिन कार्य होता है |वर्तमान में पौधों को संरक्षित की दिशा में ‘मटका थिंबक सिंचाई ‘ ही बेहतर पद्धति है|