मेरा कहा मान लिया !
जसवंत और उस की पत्नी एक शादी में गए। रसम होने के बाद खानों का इंतज़ाम खुले में किया गया था। बड़े बड़े टैंट लगे हुए थे और तरह तरह के खानों से टेबल सजे हुए थे। खूबसूरत वर्दियों में सजे वेटर जैसे आवाज़ें दे रहे हों कि कृपा आगे बढ़िए और खाने खा कर एक दफा सिर्फ यह ही कह दीजिये, ” भई वाह ! किया मज़ेदार खाने हैं और हम आप के इतने बोल से ही तृप्त हो जाएंगे और हम समझेंगे की हमारी मिहनत और लग्न कामयाब हो गई “, डिस्को स्टेज एक तरफ सजी हुई थी और हल्का हल्का मयूजिक बज रहा था। जसवंत, पहले बार की तरफ गया, जो एक तरफ दुल्हन की तरह सजी हुई थी। लोग तरह तरह के ड्रिंक ले रहे थे। जसवंत ने डबल विस्की का ऑर्डर दिया और अपना विस्की सोडा ले कर एक तरफ दोस्तों के साथ बैठ गया। जसवंत ज़्यादा नहीं पीता था। दो ड्रिंक्स से ही उस की संतुष्टि हो जाती थी लेकिन उस को खाने का बहुत शौक था और यह दो विस्की के ड्रिंक्स उस की भूख को और भी चमका देते थे। जसवंत, खूब तगड़ा और सौ किलो वज़न का शख्स था। उस का पेट इतना बड़ा हुआ था, जैसे वोह उस पर अपना ग्लास रख ले। डाक्टर ने उस को बहुत हदायतें दे रखी थीं लेकिन वोह हंस कर दोस्तों को कह देता था,”भई, एक गोली और खा लेंगे लेकिन खाना तो मज़े से खाना चाहिए ! “, जसवंत, किसी के साथ बैठ कर खाना नहीं खाता था, एक तरफ बैठ कर अकेले ही खाने का आनंद लेता था। आज भी उस ने कुछ देर दोस्तों के साथ बैठ कर विस्की का मज़ा लिया और फिर उठ कर पलेट ली और खाने की लाइन में हो लिया। विस्की ने भूख को खूब चमका दिया था और उस ने तरह तरह के मीट से प्लेट भर ली और एक तरफ बैठ कर खाने लगा। उस की पत्नी, बच्चों के साथ अपनी सखिओं से हंस हंस बातें कर रही थी। जसवंत ने मीट की प्लेट ख़तम कर दी और उठ कर एक और प्लेट ले कर पकौड़े, समोसे, चने और दूसरे स्वादिष्ट पदार्थ लेने चल पड़ा। इन पदार्थों में तरह तरह की चटनियों के साथ भरी प्लेट ले कर जसवंत फिर बैठ कर खाने लगा। खाते खाते उस को अपने भीतर से अजीब सी बात सुनाई दी। आधी प्लेट खा कर जसवंत ने खाना छोड़ दिया और अपने भीतर से आती आवाज़ें सुनने में मसरूफ हो गया। अरी मेरी ननी सी जीभ बहन ! अब तो मुझ पर रहम कर, मैं बहुत भर गया हूँ, तू हैं कि स्वाद सवाद में सब कुछ मिक्स कर के नीचे फैंक रही हो! पेट बोल रहा था। जीभ हंस कर बोली, ” भाई ! अब तू मुझ को यहां लाया है तो अब मुझे स्वाद तो लेने दे ! जब तू विस्की पी रहा था तो मैं पानी से भीगी हुई थी और चाहती थी, खानों पर टूट पडूँ ”
देख बहन ! अब तू मुझ पे तरस कर, तुम तो फावड़े की तरह सब कुछ नीचे फैंक रही हो लेकिन मुझ को अब इतना कुछ मिक्स करके आगे धकेलना मुश्किल हो रहा है, जिस के कारण तरह तरह के गैस उत्पन हो रहे हैं, जिन के कारण मैं फूल कर आगे बढ़ता जाता हूँ, लोग मुझ पर ही हंस कर कह देते हैं, देखो ! कितनी बड़ी तोंद है । एक और समस्य हो रही है, लिवर पैंक्रियास धमनियां और दूसरे साथी प्रभावत हो रहे हैं और वोह सब मुझ को ही दोष दे रहे हैं, आंसुओं के साथ पेट बोल रहा था, जैसे अभी रोया कि अभी रोया।
जीभ ने ऊपर की तरफ देखा और दिमाग को बोली, भाई ! तू जागता है ?
बस मज़े में हूँ, विस्की से झूम रहा हूँ और ऊपर से तुम इतने स्वादिष्ट खाने चुन चुन कर पेट भाई को भेज रही हो, बस देख देख आनंदित हो रहा हूँ . दिमाग बोल रहा था .
अब पेट तो जैसे रो ही पड़ा हो, बोला, ” तुम दोनों मुझे बर्बाद करने पर तुले हुए हो, एक तो मैं खुद परेशान हूँ, ऊपर से लीवर गुर्दे और दिल मुझ को घूर घूर कर देखते हैं, घुटने हर वक्त मुझे कोसते हैं . पता है, कल जसवंत डाक्टर के पास भी गिया था और डाक्टर ने इतना कुछ कहा कि मैं तो डर ही गिया था और घुटने तो बराबर मुझे घूर रहे हैं, क्योंकि उन को डर सता रहा है ऑपरेशन का। जसवंत हर वक्त कहता रहता है, ” इन कमबख्त घुटनों ने बहुत दुखी किया हुआ है ” उस को मैं किया समझाऊं कि कसूर घुटनों का नहीं बल्कि तेरा है, तू हमारी सब की लाडली बहन हैं, तुझे कुछ कह भी नहीं सकते और तू है कि इस लाड पियार का नाज़ायज़ फायदा उठा रही हो और चटखारे ले ले कर खा रही हो और साथ में दांत भाइयों को भी ओवरटाइम करने पर मजबूर कर रही हो
अब जीब कुछ संजीदा हो गई और बोली, ” पेट भाई ! आज पहली दफा मुझे महसूस हुआ है कि मैं कुछ गलती कर रही हूँ, मैंने मरियादा का उलंघन किया है और सब को नुक्सान पहुंचाया है, अब तुम जो कहो मैं करने को तैयार हूँ, मैं छोटी बहन हूँ, अब भाई बताओ मुझे किया करना है ?”
पेट बोला, बहन ! ” मैं इतना बुरा भाई भी नहीं हूँ कि तुम को ज़िन्दगी के मज़े लेने से भी वंचित कर दूँ, बस इतना करो कि थोह्ड़ा अपने आप पे कंट्रोल कर लो और कुछ कम खुराक खा कर ही संतुष्ट रहना सीख लो, मैं मानता हूँ कि कुछ दिन तुम को तकलीफ होगी लेकिन मेरा मानना है कि कुछ दिनों के बाद तुम थोह्ड़ी खुराक से ही संतुष्टि महसूस करने लगोगी, बाकी अपने दिमाग भाई से पूछ लो ”
जीभ ने दिमाग की तरफ देखा और बोली, ” दिमाग भाई ! इस के बारे में तुम किया कहते हो ?”
दिमाग बोला, ” बहन ! मैं आप दोनों के साथ हूँ, जैसे तुम करो, मुझे कोई इतराज़ नहीं है ”
पेट बोला, ” तो अब ऐसा करते हैं, एक साल का वक्त लेते हैं और एक साल बाद देखेंगे कि हमारे शेष साथी कैसा महसूस करते हैं ”
सभी ने हाँ बोल दी और खामोश हो गए।
जसवंत ने यह सभी बातें सुनी, हैरान हुआ कुछ सोचने लगा। वोह सोचने लगा कि वोह लोगों से तो हंस हंस कर बातें कर लेता है लेकिन अपने आप को वोह धोखा दे रहा है। क्या वोह शीशे के सामने खड़े होने की जुर्रत कर सकता है ?, नहीं ! वोह खुश रहने का नाटक कर रहा है। काफी देर वोह बैठा रहा। जब घर आया तो सुबह को माँ की आवाज़ आई, ” जसवंत बेटे पराठे तैयार हैं, आ के खा ले ”
पैर खसीटता हुआ जसवंत रसोई घर में आ गया और बोला, ” माँ ! आज से एक पराठा ही खाया करूँगा, दुपहर और रात का खाना भी कम कर दूंगा ”
बेटा ! तेरी तबीअत तो ठीक है, कम खाने से तो तू कमज़ोर हो जाएगा, माँ बोली।
माँ ! डाक्टर ने वज़न कम करने को बोला है, और कुछ नहीं है, जसवंत कुछ संजीदा आवाज़ में बोला।
अच्छा ! जैसे तुमारी मर्ज़ी कह कर माँ पराठे पकाने लगी।
जसवंत ने खाना कम कर दिया था और उस ने हर रोज़ दो दफा सुबह शाम तेज़ चलना शुरू कर दिया। उस की पत्नी इस अचानक तब्दीली से खुश हो गई थी और तरह तरह के ताज़ा फल, सब्ज़ियां और मेवे लाने लगी। पत्नी ने कुछ नहीं पुछा, बस हर तरह से जसवंत का साथ देने लगी। कुछ ही महीनों में जसवंत ने एक जिम क्लब जॉएन कर ली। दिनबदिन वज़न कम होने लगा और साथ ही कपड़ों का साइज़। जसवंत हर चीज़ सोच समझ कर खाने लगा। इस पर एक ख़ुशी जसवंत को और मिल गई, डाक्टर ने बहुत सी गोलियां बन्द कर दीं। अब तो जसवंत ख़ुशी से फूला नहीं समाता था और उस ने तेज दौड़ना शुरू कर दिया। वोह अपने आप में एक नया इंसान महसूस करने लगा। अब वोह दिल से दोस्तों के साथ हंस हंस बातें करता और उस के दोस्त भी उस को देख कर हैरान होते। ऐसे ही एक साल हो गया और उस का वज़न नॉर्मल हो गया और उस के डाक्टर ने भी शाबाशी दी। उस की पत्नी, बच्चे और माँ तो बहुत पर्सन थी। एक दिन वोह कोई सिहत संबंधी पुस्तक पढ़ रहा था और अचानक फिर उस के भीतर से आवाज़े आने लगीं और वोह धियान से सुनने लगा।
बड़े भैया ! अब तो तुम बहुत सुन्दर लगते हो, जीभ बोली।
खुश हो कर पेट बोला, ” मेरी छोटी सी, ननी सी, बहन ! तुम ने मेरा कहा मान लिया और मेरी बहुत मदद कर दी और मुझे तुम पर गर्व है। तेरे इतना करने से देख ! हमारे सभी साथी खुश खुश दिखाई दे रहे हैं और हमें दुआएं दे रहे हैं। अब तो दिमाग भाई भी पर्सन दिखाई दे रहा है, क्यों भाई ? पेट ने दिमाग की तरफ मुस्करा के बोला। ” हां हां , मुझ से ज़्यादा कौन खुश होगा क्योंकि जब सभी लोग जसवंत को देखते हैं तो मैं ख़ुशी से फूला नहीं समाता “, दिमाग बोला।
अब जीभ ऊंची ऊंची हंस पढ़ी और बोली, ” आप सब को एक भेद भरी बात सुनाऊँ ?, क्या ! सभी एक दम बोल पड़े .जो बातें हम कर रहे थे, जसवंत ने सब सुन ली थीं और अभी भी सुन रहा है “, जीभ ने जवाब दिया .
कुछ पल के लिए सब चुप हो गए, फिर अचानक सभी जोर जोर से हंसने लगे और अब जसवंत ने भी पेट पर हाथ फेरा और ख़ुशी से हंसने लगा और साथ ही उस के भीतर के साथी हंसने लगे।
— गुरमेल भमरा