कविता

हार

मैंने हार मान ली ,

पर मेरे मां बाप ने नहीं मानी 

लोग जो मर्जी कहे पर ,

मेरे मां-बाप मेरी हर मुश्किल में साथ है। पापा ने चलना बताया ,

मां ने हंसना सिखाया,

 मेरे मां-बाप ने मुझे जिंदगी

 की हर जंग का सामना करना बताया । बिखरते बिखरते समेटा है मुझे, गिरते-गिरते संभाला है मुझे ,

रोते-रोते हंसाया है मुझे ,

लोगों से जलकर नहीं अपनी 

मेहनत से आगे बढ़ना सिखाया है,

 मेरे मां-बाप ने मुझे ।

    — संजना 

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233