गीतिका/ग़ज़ल

ज्ञान

बाँटे से बढ़ता सदा, ज्ञान का रूप अपार,

बार बार प्रयोग से, होता ख़ूब निखार।

स्मरण शक्ति भी बढ़े, नित नया हो सार,

शब्द अर्थ विस्तार हो, पढ़ें जो बारम्बार।

अच्छी बातें सीखकर, करो बहुत प्रचार,

जोत जलाओ ज्ञान की, ज्ञान का आधार।

अनपढ़ भी ज्ञानी बनें, हो सन्तों का साथ,

कोई सीखे शब्द से, वह सीखें व्यवहार।

— अ. कीर्तिवर्द्धन