गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्यारी प्यारी आंखों में सपना तुम्हारा हो।

न दुःख प्यारा हो न दर्द प्यारा हो।।

याद आए तो आ जाओ सामने।

कभी ऐसा भी सुन्दर नजारा हो।।

आंखों में आंखें डालकर बैठ जाएं हम।

किसी बहती नदियां का किनारा हो।।

दिल से दिल की हो रही बात प्यार की।

भीगता ये तन बदन सारा हो।।

चल पड़े फिर कच्चे रास्तों पर हम।

बस कांधे का तेरे मुझको सहारा हो।।

 शिकन आने न पाए कभी चेहरे पर।

मुस्कुराता हुआ प्यार हमारा हो।।

वो वक्त ठहर जाए घड़ी भर के लिए।

जब साथ हमारा हो अद्भुत नजारा हो।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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