गुदना कला से सौंदर्य निखार
विदेशो में टेटू यानि गुदना कला का सौंदर्य चकाचोंध को बढ़ावा देने व् अपने को जो अच्छा लगे उन प्रतिक चिन्हों को शरीर पर बनाए जाने का चलन जोरो पर है ।ग्रामीण क्षेत्रों में गुदना कला को लोग वर्षो से बनवाते आ रहे है किन्तु वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रो में इस कला का चलन धीरे धीरे कम होता दिखाई दे रहा है । विदेशो में ये फैशन का रूप ले चुकी है।विदेशो में और यहाँ भी पुरुष और महिलाएं एवं व्यस्क बच्चे भी गुदना (टेटू ) बनवाते है।फिल्म “अशोका ” में हीरो -हीरोइन ने भी अपने शरीर पर बनाकर सौंदर्य को बढावा दिया था।गुदना कला यानि सौंदर्य के वे चिन्ह है जिनसे स्थाई रूप से सजने -सँवरने हेतु रोजाना से निजात मिलती है।कई गुदना कलाकार गुदना के चलन कम होने से दुखी है।वे स्वयं की तैयार की गई या पारंपरिक चित्रकारी को प्रयोग में लाते है।विदेशो में इसका प्रभाव बरक़रार है किन्तु यहाँ धीरे -धीरे कम होता दिखाई दे रहा है ।
— संजय वर्मा “दृष्टि”