दोहा गीतिका
तुझ पर मैं कुर्बान हूँ, तू मेरी पहचान
देश नमन,वन्दन तुझे,तू मेरा अभिमान
तेरी धरती ने दिया,भोजन,अन्न,अनाज
खेतो में चंहु ओर है, गेहूँ मक्का, धान
सरसो की चूनर पहन,भू ने किया श्रृंगार
फल से, फूलो से सजे, गांवो के बागान
पुरवाई की मस्तियां, बरगद का उल्लास
पीपल पर मस्ती चढ़ी,हर्षित है उद्यान
बंगाली भी है यहां, मद्रासी हैं लोग
रंग बिरंगे भेष में , प्यारा राजस्थान
उड़िया,मलयालम कहें,करें तमिल में बात
महाराष्ट्र से केरल का,अलग है खान पान
त्रिपुरा सिक्किम पुडुचेरी ,कहीं असम गुजरात
गोवा,और बिहार की,अलग एक पहचान
तेलंगाना, लक्षद्वीप और हिमाचल राज्य
अरूणाचल, लद्दाख की अद्भुत देखो शान
कहीं उत्तरा खंड हैं,और कहीं पंजाब
कहीं मिजोरम,मेघालय, निकोबार अंडमान
गंगा,यमुना,ज्ञानदा, संगम प्रयागराज
नदियां ये पावन सभी,पावन इनका स्नान
कहीं सिंह स्तम्भ हैं,सारनाथ है नाम
ताजमहल भी हैं यहां,काशी शिव भगवान
अवधपुरी को देखिए,जहां हुए हैं राम
पूरी दुनिया में दिखा,काशी का सम्मान
बद्रीनाथ में शिव रमें,जम्मू माँ दरबार
पुष्कर,बाबा बर्फानी,सब पवित्र स्थान
देखो कत्थक,चरकुला,है सितार की गूंज
शहनाई गूंजे कहीं, तानसेन दे तान
भोर तेरी मन भावनी, पंछी उड़े अनन्त
मन्त्रोचारण हैं कहीं, गूंजे कहीं अजान
तूने दुनिया को दिया,प्रेम,सत्य सन्देश
नानक भी दें बुद्ध दें, महावीर दें ज्ञान
— शालिनी शर्मा