सावन आया
सावन आया संदेशा लाया
शिव पुजन का भाव जगाया
माया की नगरी है प्यारी
सबसे बढ़कर तुम त्रिपुरारी
निश्काम रहित भावना जगायें
करूँ मैं पूजन दिल में समायें ।
हे नंदीश्वर औढ़रदानी उमापति
अवचेतन में भी सदा हूँ जपती।
भष्मरमैया हे महाकालेश्वर शिव
दुखहर्ता सुखकर्ता विघ्नहर्ता पुत्र।
उमा भवानी जगदीश्वरी कल्याणी
सदा विराजत शिव संग भवानी ।
सुनें प्रार्थना हे भोले शंकर दानी
तुम समान नहीं कोई औढ़रदानी ।
नमः शिवाय का जाप जो करते
मोहमाया से वो सभी हैं निकलते ।
जल नहीं,भांग नहीं, मंदिर नहीं पास में
बेलपत्र भी कहाँ आसपास में ?
बस सुमिरन स्वीकार करें प्रभु
सावन मास दुख हरें हे जगत गुरू
— आरती रॉय