हाइकु
नशा है नाश
अपराध अनेक
खोता विवेक
—
मन था रोया
प्राचीन संपदा की
देख दुर्दशा
__
मिट्टी हरती
रोग, व्याधि, संताप
स्वस्थ हों आप
__
दुर्घटना से
देर भली, जानते
क्यों न मानते
__
जल की कभी
ना करना बर्बादी
कहती दादी
— मनु वाशिष्ठ
नशा है नाश
अपराध अनेक
खोता विवेक
—
मन था रोया
प्राचीन संपदा की
देख दुर्दशा
__
मिट्टी हरती
रोग, व्याधि, संताप
स्वस्थ हों आप
__
दुर्घटना से
देर भली, जानते
क्यों न मानते
__
जल की कभी
ना करना बर्बादी
कहती दादी
— मनु वाशिष्ठ