बाल कहानी – उपकार का बदला
बहुत पुरानी बात है। किसी गाँव में रूपा नाम की एक सुंदर, बुद्धिमान तथा चंचल लड़की रहती थी। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसकी प्यारी-प्यारी बातों ने न केवल उसके माता-पिता और परिवार के लोगों को ही बल्कि पूरे गाँव वालोें को मोहित कर रखा था। वह जहाँ भी जाती, लोग उसे पलकों पर बिठा लेते। वह कभी बीमार पड़ती तो पूरे गाँव में सन्नाटा छा जाता था।
एक बार रूपा नदी के किनारे कुछ बच्चों के साथ खेल रही थी, तभी एक बड़ी-सी मछली लहरों के साथ किनारे तक आ पहुँची, परंतु वापस न जा सकी। वह तड़पने लगी।
रूपा ने अपनी सहेलियों के सहयोग से उसे वापस नदी में पहुँचा दिया। अब वह मछली उन बच्चों के सामने कलाबाजियाँ खाती हुई तरह-तरह के खेल दिखाने लगी। रूपा उसे पकड़ने के लिए मचलने लगी।
रूपा उस मछली को पकड़ने की कोशिश में उसके पीछे-पीछे बढ़ती चली गई। मछली रूपा से अधिक चंचल थी। वह कभी डुबकी लगाकर दूर निकल जाती तो कभी रूपा के इतने पास आ जाती कि वह उसे हाथ बढ़ाकर पकड़ ले।
खेल-खेल में रूपा नदी के बीचों-बीच उस जगह पहुँच गई जहाँ भँवर था। एक झटके से वह भँवर में जा फँसी। मछली अब भी उसके सामने थी, पर रूपा अब डूबने लगी।
सभी बच्चे डर गए। कोई भी तैरना नहीं जानता था, इसलिए सामने नहीं आया। अब वह मछली, जिसकी जीवन रक्षा कुछ समय पहले रूपा ने की थी, उसके पास आ गयी। उसने रूपा को अपने पीठ पर बिठा लिया और उसे डूबने से बचा लिया।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा