ग़ज़ल
बड़ा खूबसूरत ज़िगर देख लेना।
पसंद आये तो बसर देख लेना।।
अभी आसमां पर सितारें बहुत हैं।
यहीं धूप का कल कहर देख लेना।।
हुई रात आधी तो फिर आसमां में।
चमकता हुआ इक क़मर देख लेना।।
जो बरसा ये सावन कभी झूम के फिर।
तो तुम बादलों का नगर देख लेना।।
बरस जाएगा जब ये सावन जी भर के।
यहीं कीट पतंगों का घर देख लेना।।
कहीं जलते होंगे मुहब्बत के मारे।
तो अखबार में भी ख़बर देख लेना।।
कभी खुद को लाचार लगने लगो तो।
किसी आइने में निखर देख लेना।।
— प्रीती श्री वास्तव