उलझा के रख
सत्ता में अगर रहना है तो
तो सब को उलझा के रख
मन्दिर मस्जिद कर दे कहीं
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
देश की किसी को क्या है पड़ी
बहुत मुश्किल की है यह घड़ी
चोर उचक्के बैठ गए शाशन में
अपनी अपनी सबको है पड़ी
सबकी बारी आएगी तू इंतज़ार रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
जात पात को तू देता रह हवा
क्षेत्रवाद का शोर मचाता रह
एक दूसरे की बुराई करता रह
आपस में लड़ लड़ के मरता रह
मजहब की चिंगारी सुलगा के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
बेरोजगारी सिर से ऊपर जा रही
युवा खा रहा चिट्टा होकर हताश
महंगाई चढ़ती जा रही आसमान
फिर भी किसी को नहीं है ध्यान
असली मुद्दों से ध्यान भटका के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
यह अपना है वह बेगाना है
किसके पीछे किसको लगाना है
सी बी आई,इनकम टैक्स जाएगा
या ई डी से निपटाना है
सी बी आई ई डी को पीछे लगा के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
फ्री में बंट रहा सब कुछ
मध्यम वर्ग का हो गया बंटाधार
अपनी जेब से क्यों नहीं देते
खोल रखा जो फ्री का बाजार
चुनाव आ रहे हैं कोई नया मुद्दा बना के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
भाई भाई का दुश्मन हो गया
आपस में रहती है हर वक्त तकरार
उस जमीन के पीछे जो साथ नहीं जाएगी
क्यों मरने मारने को हो जाते हो तैयार
भाई को भाई से लड़ा के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
होते हैं सब एक से कोई फर्क नहीं
सत्ता से रहता है सबको बहुत प्यार
देश से इन्हें क्या लेना है जाए भाड़ में
इन्हें तो है भ्रस्टाचार और पैसे से प्यार
जात पात में उलझा के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
विरोध करेगा तो देशद्रोही कहलायेगा
ज़्यादा बोलेगा तो सबकी नजरों में आएगा
पीछे लग जाएंगे तेरे सभी
जो तू ज़्यादा शोर मचाएगा
धज्जियां उड़ा के रख देंगे इज़्ज़त की
अपनी इज़्ज़त बचा के रख
हिन्दू मुस्लिम को लड़ा के रख
— रवींद्र कुमार शर्मा