गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कोई पानी नहीं रखता, कोई दाना नहीं रखता
मैं तेरी भूख के आगे, कोई खाना नहीं रखता

तुम्हारे कोसते रहने से दीवारें नहीं हिलतीं
तभी मैं भीड़ में लोगों का चिल्लाना नहीं रखता

मेरे भीतर की सारी आग बाहर से भी दिखती है
मैं अपने ख़ूब अंदर तक भी तहख़ाना नहीं रखता

मेरी ऊँची इमारत से नहीं है दोस्ती कोई
मैं इन कच्चे मकानों से भी याराना नहीं रखता

मुझे हारे हुए किरदार अब अच्छे नहीं लगते
तभी नाटक में उनका घाव सहलाना नहीं रखता

कहीं सूरज, कहीं जुगनू, कहीं चंदा, कहीं तारे
वो धरती के किसी कोने को वीराना नहीं रखता

तेरी-मेरी कहानी में जो फिर से लिख रहा हूँ मैं
तेरा आना तो रखता हूँ, तेरा जाना नहीं रखता

तुम्हें अब तो उदासी की ही धुन पर नाचना होगा
वो खुशियों से भरा कोई भी अब गाना नहीं रखता

— डॉ. राकेश जोशी

डॉ. राकेश जोशी

जन्म: 9 सितंबर, सन् 1970 शिक्षा: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., एम.फ़िल., डी.फ़िल. प्रकाशित कृतियां: "कुछ बातें कविताओं में" (काव्य-पुस्तिका)", पत्थरों के शहर में" (ग़ज़ल-संग्रह), "वो अभी हारा नहीं है" (ग़ज़ल-संग्रह)। संप्रति: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड में अंग्रेज़ी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष। सम्पर्क का पता: डॉ. राकेश जोशी प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष अंग्रेज़ी विभाग राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला देहरादून, उत्तराखंड मोबाइल: 9411154939 ई-मेल: joshirpg@gmail.com