कविता

जिसे तुम कविता कहते हो

बिल्कुल ही एक मजदूर की तरह

जब खुद को जोड़ा हूं 

झिंझोड़ा हूं 

दिन रात

आंखों को फोड़ा हूं 

निचोड़ा हूं 

तब जाकर कहीं कुछ पंक्तियां लिख पाया हूं 

जिसे तुम कविता कहते हो

दरअसल यह कविता नही

मेरी आंखों का छिना हुआ सुकून है

परिश्रम है; पसीना है; खून है 

— नरेन्द्र सोनकर

नरेन्द्र सोनकर

उपनाम--कुमार सोनकरन पिता का नाम--राजेन्द्र प्रसाद माता का नाम--मालती देवी अभिभावक का नाम--नरेश कुमार सोनकर स्थाई पता-- ग्राम नरैना, पोस्ट रोकड़ी, तहसील करछना, जिला प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)। पिन कोड--212307 जन्मतिथि--27-03-2001 शिक्षा-- माॅं कमला उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रोकड़ी से 1 से 8वीं तक पं.लक्ष्मी नारायण इंटर कॉलेज निदौरी से मैट्रिक मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज करछना से इंटरमीडिएट इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज से स्नातक व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से बीएड प्रशिक्षणरत। आप टिप्पणी--आंबेडकरवादी विचारधारा से प्रभावित। दलित,स्त्री व प्रकृति विषयक मुद्दों पर बेबाक लेखन-प्रयत्न। रुचि--कविता पढ़ना-लिखना और पढ़ाना,खोज, तर्क-वितर्क विधा--कविता,कहानी,दोहा,हाइकु ग़ज़ल,माहिया,शायरी,नाटक,उपन्यास,आत्मकथा इत्यादि। सम्मान-- काव्य कुमुद,कल्प कथा व राष्ट्रीय अभिनव साहित्य मंच प्रयागराज द्वारा दशाधिक बार प्रशस्ति पत्र व सम्मान प्राप्त। रचना-प्रकाशन--अमर उजाला काव्य पटल पर 350 से अधिक,जयदीप पत्रिका में 20 से अधिक, मानस पत्रिका व आइडिया सिटी न्यूज़ बनारस से दशाधिक और हिन्दी बोल INDIA पर रचनाएं प्रकाशित। चलभाष--8303216841 Email:- [email protected]