यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है
मिसरी सी मीठी कूक लिए झरनों सी लिए रवानी है।
है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।।
वेदों की वाणी की दुहिता यह ज्ञान सुधा की सरिता है।
है देवनागरी लिपि में जो विज्ञान विभूषित कविता है।।
अक्षर अक्षर का उच्चारण है दोष रहित अपवाद नहीं।
जैसा लिख दो वैसा बोलो ध्वनियों में कहीं विवाद नहीं।।
भाषाओं में सबसे न्यारी सबसे प्यारी शुभ वाणी है।
दुनिया की भाषा कुछ भी हो पर हिन्दी हिन्दुस्तानी है।।
रस छन्द चरण गुण शब्दशक्ति स्वर व्यंजन की मृदु छवियों की।
वाचिका अलंकृत माला की रुचिरा मधुरा प्रिय कवियों की।।
व्याकरण व्यवस्थित अनुशासित है शब्दकोश से कोष भरा।
चिन्तन मन्थन से ज्ञान कुम्भ नवनीत सार सन्तोष भरा।।
पानी सी निर्मल पावनता तो पानीदार कहानी है।।
है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।।
है प्रबल शक्ति इस भाषा में हर भाषा को अपनाने की।
एकता बनाए रखने की कौटुम्बिक देश बनाने की।।
निर्जीव जीव का लिंग वचन हर क्रिया स्वयं बतलाती है।
अभिव्यक्ति सरल भावार्थ सुगम व्यवहारिकता समझाती है।।
धीरों वीरों विद्वानों की जन जन की प्रिया पुरानी है।
है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।।
— गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”