जो प्रेमशक्ति की मायावी ,जाया बनकर उतरी जग में। आह्लाद बढ़ाती हुई बढ़ी , बनकर छाया छतरी मग में।। बलिदान त्याग की महामूर्ति , ममता की सागर धैर्यव्रता। करुणाकरिणी दैवीय दीप्ति, साहस की जननी शान्ति सुता।। हे विनयशालिनी युगमुग्धा, भू भुवनमोहिनी प्रियंवदा। रागानुरागिणी कनक काय, परपोषी तोषी अलंवदा।। नारी के मन की कोमलता, कमनीय देह के आकर्षण। मधुरिम सुर नयनों […]
Author: गिरेन्द्र सिंह भदौरिया "प्राण"
समझो द्वारे पर है बसन्त
मद्धिम कुहरे की छटा चीर पूरब से आते रश्मिरथी उनके स्वागत में भर उड़ान आकाश भेदते कलरव से खग वंश बेलि के उच्चारण जब अर्थ बदलने लगें और बहुरंग तितलियाँ चटक मटक आ फूल फूल पर मँडराएँ जब मौन तोड़ कोयलें गीत अमराई में गा उठें और मधुकर के गुंजित राग उठें पड़कुलिया गमकाए ढोलक […]
गीत – हम उस युग के बेटे हैं…
हम उस युग के बेटे हैं जब, घर – घर घर होते थे। घर के मालिक भी हम ही, हम ही नौकर होते थे।। घर – घर थे मिट्टी के चूल्हे , मिट्टी की दीवारें। दीवारों पर मिट्टी की छत, मिट्टी की बेगारें।। हम आँखों में आँज आँज कर, काजल और ममीरे।। मिट्टी में खेला […]
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” का सम्मान
प.ज्योति कानपुरी जी की स्मृति में क्रान्तिकारी विचार मंच द्वारा स्थापित “ज्योति कलश” सम्मान से देश के वरिष्ठ कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” को सम्मानित किया गया। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर के ऐतिहासिक शिवाजी सभागार में राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने ज्योति कानपुरी जी के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व की भाँति […]
सबके बस की बात नहीं है
प्यार भरी सौगात नहीं यह, कुदरत का अतिपात हुआ है । ओले बनकर धनहीनों के, ऊपर उल्कापात हुआ है।। फटे चीथड़ों में लिपटों पर, बर्फीली आँधी के चलते, पत्थर बरस रहे धरती पर, साधारण बरसात नहीं है। ऐसे में सड़कों पर सोना, सबके बस की बात नहीं है।। पग पथ बना बिछौना जिनका, आसमान ही […]
रौद्र नाद
हे पाखण्ड खण्डिनी कविते तापिक राग जगा दे तू। सारा कलुष सोख ले सूरज ऐसी आग लगा दे तू।। कविता सुनने आने वाले हर श्रोता का वन्दन है। लेकिन उससे पहले सबसे मेरा एक निवेदन है।। आज माधुरी घोल शब्द के रस में न तो डुबोऊँगा। न मैं नाज नखरों से उपजी मीठी कथा पिरोऊँगा।। […]
अन्तर्नाद
हा त्राहिमाम! हा त्राहिमाम! हा त्राहिमाम! की सुन पुकार। क्रन्दन कर उठा हृदय कवि का, शिशुओं का सुनकर चीत्कार।। ख़ाकीन कर दिया पतनों ने, दे दी पछाड़ उत्थानों को।। आ रहा पसीना पथरीली, काँपती हुई चट्टानों को। हिल उठे कलेजे शिखरों के, घाटियाँ सिकुड़ कर चीख उठीं। मौतें हो उठीं मुखर मौनी, लाशों पर नर्तन […]
वीरांगना झलकारी बाई
झाँसी की रानी के समान, झाँसी की एक निशानी है। है सदा शौर्य की प्यास जहाँ, पिघले लोहे सा पानी है।। बचपन से लेकर मरने तक, मरती ही नहीं जवानी है। वीरता लहू में बहती है, घर घर की यही कहानी है।। बुन्देले तो बुन्देले हैं, जिनकी गाथा अलबेली है। उस पर गर्वित बुन्देलखण्ड, हर […]
ग़ज़ल
आग पी तो गया अब पचा कर बता। और फिर जिन्दगी को बचा कर बता।। दी सभी को अगर नौकरी तो सुनो , मैं कहाँ का हुआ यार चाकर बता।। हाथ मेंहदी से रचना करिश्मा नहीं, नीम की पत्तियों से रचाकर बता।। पेड़ – पौधे झुकाना अलग बात है , पत्थरों की अकड़ को लचाकर […]
हिन्दी हिन्दुस्तानी है
मिसरी सी मीठी हूक लिए पानी सी लिए रवानी है। है सुगम बोधिनी भावों की यह हिन्दी हिन्दुस्तानी है।। वेदों की वाणी की बेटी यह सुधा ज्ञान की सरिता है। है देवनागरी लिपि में यह विज्ञान विभूषित कविता है।। अक्षर अक्षर का उच्चारण है दोष रहित अपवाद नहीं। जैसा बोलो वैसा लिख लो ध्वनियों में […]