कविता

मुझे भगवान बनना है

बहुत दिनों से मैं सोच रहा था
कि काश! मैं भी भगवान होता,
मेरा भी गुणगान, पूजा पाठ होता।
फिर मुझे लगा जैसे मेरे मन की बात
सीधे भगवान जी तक पहुंच गई
और कल ही रास्ते में भगवान जी से
मेरी आमने सामने मुलाकात हो गई।
पर मेरी तो जैसे लाटरी लग गई,
मैं जब तक आश्वस्त होकर
उन्हें प्रणाम, नमस्कार,दंडवत करता
भगवान जी ने उससे पहले ही
ससम्मान हाथ जोड़कर
सिर झुकाते हुए मुझे प्रणाम किया,
यह देख मैं असहज हो गया
और भगवान के चरणों में झुक गया
प्रभु! आप ये क्या कर रहे हैं?
नाहक मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं
आप तो भगवान है,
आपको सामने पाकर हम खुद हैरान हैं।
पर अच्छा है अब जब आप आ ही गये हैं
शायद मेरी इच्छा पूरी करने के लिए ही आये हैं।
तो हे प्रभु! अब देर न करो
और मेरा अरमान पूरा कर दो
बस! मुझे भगवान बनना है
जैसे भी हो आप एक बार मुझे
अपनी जगह भगवान बना दो
और मेरी जगह आप मानव बन जाओ।
भगवान जी आश्चर्य से मुझे देख रहे थे
शायद पागल मुझे समझ रहे थे,
उनका सोचना भी तो ग़लत नहीं था,
पर आज मौका तो मेरे हाथ में था।
वे बड़े प्यार से बोले
हे मानव! तू भगवान बनकर क्या करेगा?
इससे तुझे क्या हासिल होगा?
मैंनें उत्साहित होकर कहा-
अपने दुश्मनों को सबक सिखाऊंगा
तनिक भौकाल भी जमाऊंगा
मैं भी भगवान हूं सबको ये भी बताऊंगा,
आपको पूरी धरती पर मुफ्त में घुमाऊंगा।
जो कारस्तानियां कर रहे हो आप भगवान बनकर
वो सब भी आपको दिखाऊंगा।
भगवान जो आप नहीं कर पा रहे हो
वो सब भी मैं करके दिखाऊंगा,
भगवान होने का मतलब आपको समझाऊंगा।
फिर भगवान मुझसे कहने लगे
पर मैं तोतुम्हें भगवान नहीं बना सकता
भगवान होने की शक्ति नहीं दे सकता?
इतना सुनकर मुझे भी ताव आ गया
मैं भी अपनी औकात में आ गया,
झूठ मत बोलो वरना पछताओगे
धरती पर खुद चलकर तो आ गए हो,
अपने पैरों पर चलकर वापस जा नहीं पाओगे।
हड्डी पसली तुड़वाकर अपाहिज बना दूंगा
झूठे आरोप में जेल भिजवा दूंगा
जमानत भी नहीं होने दूंगा।
शायद आप मुझे जानते नहीं हैं
आप जैसे जाने कितने भगवान
मेरे आगे पीछे घूमते हैं
रोज सुबह शाम आकर नमस्कार करते हैं,
मेरा आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करते हैं
मेरी कृपा से ही जीते हैं,
जिन पर मेरी नज़र टेढ़ी हो गई
वो कल का सूरज तक नहीं देख पाते हैं।
तो हे भगवान जी! अब आप विचार कर लो
आपको क्या करना है?
मुझे भगवान बनाना है
या मेरी औकात देखना है।
इतना सुन भगवान जी थर कांपने लगे
और हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे
मुझे आपकी मांग स्वीकार है
आपको भगवान बनाने को मैं तैयार हूं,
चलो जल्दी से हाथ जोड़कर बैठ जाओ
आंखें बंद कर मेरी शक्तियां स्वीकार करो,
एक पल में तुम भगवान बन जाओगे।
बस जब तक मैं न बोलूँ, आंँखें मत खोलना,
वरना मेरी शक्तियां नहीं ले पाओगे,
फिर तुम जो चाहोगे कर पाओगे
पर मुझे पकड़ भर नहीं पाओगे।
मैं उनके कथनानुसार
हाथ जोड़, आँखें बंधकर बैठ गया
मैं बैठे बैठे जब थक गया,
और मुझे कुछ शक भी होने लगा
मजबूरन अपनी आंखें खोली तो
मेरे हाथ के तोते उड़ गए
भगवान गायब हो गए
तब मुझे लगा हमें बेवकूफ बना गए,
वो भगवान हैं हमको बता गये
भगवान बनने की मेरी सोच को
एकदम से गच्चा दे गए
वरदान पाने का एक मौका मिला था
मेरी मूर्खता से वो भी मेरे हाथ से गए।

*सुधीर श्रीवास्तव

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